बीत चला ये साल पच्चीस देकर कुछ खट्टी मीठी यादें,
दस्तक दे रहा है साल छब्बीस करने कई नई पुरानी बातें।
सुख दुःख का मिलाजुला पल बीते साल सबके संग बीते हैं।
ये साल छब्बीस मनमाफिक हो उम्मीद ये दिल में जागी है।
सपने सभी के पूरे हों और हर तरफ़ खुशहाली बिखरी हो।
पाषाण प्रतिमा कोई न होगी जीवंतता को साकार कर लेंगे।
साल छब्बीस में नई उमंगे और खुशियों से भरी कहानी होगी।
तेरे प्यार के रंगों से रंगी अब हर एक तस्वीर सुहानी होगी।
आने वाले साल में नवचेतना से इंसानियत को ज़िंदा रखो।
निज स्वार्थ को तज के नई दुनिया में अपनेपन का भाव रखो।
साल छब्बीस का नया सवेरा, देखो द्वार में आकर खड़ा है,
बाहें पसार कर आह्वान करो, नई रीत चलाकर वरण करो।

सोनी बरनवाल “कशिश” का जन्म 16 अगस्त 1983 को झारखंड के गिरिडीह जिले के पावन पर्वत पारसनाथ में हुआ।
आपके पिता श्री गोविन्द प्रसाद बरनवाल व्यवसायी हैं और माता श्रीमती अहिल्या बरनवाल एक गृहणी। आपकी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड कॉलेज डुमरी से इंटरमीडिएट तक पूर्ण हुई।
वर्तमान में आप जमुई, बिहार की निवासी हैं और गृहणी होने के साथ-साथ साहित्य लेखन को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानती हैं। अक्टूबर 2021 से आपने लेखन यात्रा की शुरुआत की, और आपके अनुसार—मन के भावों को व्यक्त करने का सबसे सुंदर माध्यम लेखन ही है।
आप मुख्य रूप से मुक्तक और छंद-मुक्त रचनाएँ लिखती हैं।
आप बोलती कलम साहित्यिक मंच, नव निधि साहित्यिक मंच, काव्यांश साहित्यिक मंच और बरनवाल कवि सम्मेलन मंच से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। ऑनलाइन काव्य गोष्ठियों में आपकी नियमित सहभागिता के लिए आपको अनेक प्रमाण पत्र प्राप्त हुए हैं।
अब तक आप 20 से अधिक ऑनलाइन कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ा चुकी हैं।
काव्यांश साहित्यिक मंच के साझा काव्य संकलन —
“दीप्तांश”, “बोलती कलम काव्य धारा” और “ख्वाबों की दुनिया (खंड ख)” — में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।