तोड़ पुरानी जंजीरों को आज नया इतिहास लिखें,
गर्म लहू की धाराओं से राष्ट्रभूमि का श्रृंगार करें ।
मिट्टी से उपजे मिट्टी को ही बलिहार करें,
देश की खातिर मिट जाने का कर ले तू आचरण ।। मातरम् ।।
ये मिट्टी है बलिदान की किसान और जवान की,
तन को आज रंगा कर इसमें सर ऊंचा अभिमान करें ।
मिट्टी के कण कण से उठते देशप्रेम का गुणगान करें,
बच्चा बच्चा देशभक्ति का ओढ़े अब आवरण ।। मातरम् ।।
मिट्टी में ममता मां की इंसान खेलता गोद में इसकी,
मल मल के रज कण जिस्म से मिल शत्रु से संग्राम करें ।
मैं सपूत मैं रखवाला झुका शीश मिट्टी को प्रणाम करें,
सुदृढ़ सशक्त छबि हो ऐसी कर न सके कोई आक्रमण ।।
मातरम् मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् ।।