जय जय जय गणपति गणनायक ।
बुद्धि विवेक के तुम हो दायक ।
गज आनन शोभा अति प्यारी,
मात-पिता प्रति भक्ति न्यारी ।
विध्न हरो सब पूज्य विनायक ।
पान फूल मोदक सब लाए,
भाव- भक्ति से भरकर आए।
आन विराजो सिद्धि विनायक ।
सब देवन में प्रथम पूज्य हो,
गौरी-शिव के प्यारे सुत हो ।
रिद्धि- सिद्धि संगिनी सुखदायक ।
जो कोई तुमको मन से ध्यावे,
मनवांछित सारे फल पावै।
सत चित आनंद दो वरदायक ।
कुसुम रानी सिंघल